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रहस्यमाई चश्मा भाग - 66





उस शुभा कि यह दशा कैसे हुई शिवनारायण कि समझ मे ही नही आ रहा था शिव नारायण और शुभा ने बात विवाद खेल कूद आदि अनेक कोलज प्रतियोगिताओं में भाग लिया था और कॉलेज का नाम रौशन किया था शुभा शिवनारायण से हमेशा कहती भैया शिवनारायण तुम्हारा नाम भगवान शिव से ही शुरूहोता है जब भी मैं कभी किसी मुसीबत में फंस जाँऊ तुम साक्षात औघड़दानी बनकर मेरी रक्षा करना शिवनारायण कि आंखों से आंसुओ कि धारा बह रही थी इस बीच शुभा एक टक शिवनारायण को देखे ही जा रही थी उसकी पलके बड़ी मुश्किल से गिरती आंखे सुनी जैसे सुख गयी हो,,,,,


शिवनारायण को समझते देर नही लगी कि हालात ने शुभा को बेवश लाचार बीमार बेजान लाश बनाकर रख दिया है उन्होंने अपने ड्राइवर गौरांग को आदेश दिया कि आस पास से कुछ महिला सफाई करने वाली दिखती हो तो बुला लाओ गौरांग गया और कुछ ही देर में वह दो सफाई करने वाली महिलाओं को बुलाकर साथ लाया शिवनारायण ने मति सुमति से कहा तुम लोग कचरे में बैठी औरत को मेरे कार की पिछली सीट पर बैठा दो जो पैसा कहोगे हम दे देंगे मति और सुमति सगी बहने भी थी ने शुभा को पकड़ कर शिवनारायण के कार कि पिछली सीट पर बैठा दिया और पैसा लेकर चली गयी,,,,


शिवनारायण ड्राइवर गौरांग के बगल में बैठे और अपना नाक कभी दबाते कभी छोड़ते किसी तरह से शुभा को लेकर अपने घर पहुंचे घर पहुंचते ही उन्होंने अपने घरेलू दाई से शुभा स्नान आदि कराकर साफ सुथरा करने का आदेश दिया और पत्नी चैतन्या से बोला तुम अपने संग्रहो मे सबसे सुंदर साड़ी शुभा को पहनाओ चैतन्या ने पति के आदेश का पालन किया कुछ ही घण्टो पहले कचरे के ढेर पर दुर्गंध देती शुभा अब अपने मूल रूप में प्रतीत हो रही थी फर्क इतना ही था कि तमाम हालातो से जूझती वह बेहद दुर्बल तो हो ही गयी थी शरीर पर पत्थरो के घावों के बहुत निशान एव नए ताजे घांवो से रिसते रक्त स्राव थे शिवनारायण एव चैतन्या शुभा को लेकर डॉ देवांश के पास लेकर गए डॉ देवांश ने शुभा की गम्भीरता पूर्वक जांच किया और बताया कि शरीर पर लगे घावों को ही ठीक होने में महीनों लग सकते है,,,,


और यादास्त गंवा चुकी शुभा कि यादाश्त वापस आ भी सकती है नही भी आ सकती है इसके बारे में कुछ भी बहुत निश्चित नही कहा जा सकता है सिर्फ कोई चमत्कार ही शुभा की यादास्त को वापस ला सकता है शिवनारायण ने डॉ देवांश को बताया कि यह मेरी बहन है और कुछ अनचाही परिस्थितियों के कारण इसकी यह दशा हुयी है डॉ देवांश ने शिवनारायण एव चैतन्या को बताया कि आप लोग निश्चित होकर शुभा को मेरे अस्पताल में भर्ती करें और सुबह शाम आते जाते देख लिया करे मैं जितने भी मेडिकल साइंस के उपलब्ध सम्भव प्रायास है करूंगा जिससे कि शुभा यादास्त के साथ पूर्ण स्वस्थ हो सके,,,,,



 शिवनारायण ने शुभा को देवांश के अस्पताल में भर्ती कर दिया सुबह शाम शिवनारायण आते और शुभा का हाल चाल लेते रहते एक महीने में शुभा के शरीर के बाहरी एव आंतरिक सारे जख्म ठीक हो गए लेकिन शुभा की यादास्त वापस नही आई ना ही कोई आसार थे डॉ देवांश के हॉस्पिटल के पास ही मंगलम चौधरीं की बहुत बड़ी जुट मिल थी जब भी मजदूर काम के समय बीमार होते तो देवांश के अस्पताल ही आते देवांश मूल रूप से मधुबनी जनपद के ही निवासी थे उन्हें मालूम था कि जुट मिल मॉलिक दरभंगा के मंगलम चौधरीं जी है मिल मजदूरों से उनका स्वाभाविक भवनात्मक अपनत्व तो था ही डॉ देवांश जुट मिल के कर्मचारियों का इलाज कभी कभी बिना कुछ लिए मुफ्त ही कर देते,,,,


डॉ देवांश के हस्पताल पर अक्सर विदेशी एव अप्रवासी भारतीय डॉक्टरों का आना जाना लगा रहता डॉ देवांश ने सभी से शुभा के विषय मे चर्चा किया लेकिन किसी के पास कोई इलाज या उचित समाधान नही था सबने यही कहा कि सम्भव है शुभा की यादाश्त आ जाय सम्भव है ना भी आये लेकिन डॉ देवांश ने हार नही मानी थी वह शुभा को लेकर कुछ ना कुछ नए मेडिकल प्रयोग करते रहते और शिवनारायण एव चैतन्या से सिर्फ एक वर्ष तक शुभा को अपने अस्पताल में छोड़ने के लिए कहा और बोले इस एक वर्ष के लिए मैं कोई फीस या चार्ज नही लूंगा सिर्फ आप लोंगों को दोनों समय के भोजन एव नाश्ते कि व्यवस्था करनी होगी शिवनारायण एव चैतन्या को कोई आपत्ति नही थी,,,,


 उन्होंने शुभा को डॉ देवांश के अस्पताल छोड़ दिया आते जाते शुभा का हाल चाल ले लिया करते और सारी व्यवस्थाओ कि स्वंय निगरानी करते इस तरह समय बीतता रहा ।


धीरे धीरे मजदूरों द्वारा दिए गए अल्टीमेटम कि तारीख चार दिसम्बर नजदीक आने लगी मंगलम चौदरी ने सिंद्धान्त को मजदूरों द्वारा दिये गए नोटिस के परिपेक्ष्य में शासन प्रशासन एव पुलिस को सूचित करने का निर्देश दिये गए और उन्होंने सिंद्धान्त को यह भी निर्देश दिये कि मजदूरों की मांगों की सूची एव उसके क्रियान्वयन के संदर्भ में सम्पूर्ण जानकारी से शासन एव पुलिस प्रशासन को आवगत कराया जाय साथ ही साथ उन्होंने कहा मैं कलकत्ता जुट मिल पर स्वंय रहूंगा और सुयश मेरे साथ तो होगा ही साथ ही साथ रघु जग्गू इमिरीतिया तूफानी भद्र चिंता महादेव कर्दब भी साथ होंगे मंगलम चौधरीं ने सिंद्धान्त को निर्देश दिया कि मर्मत को बुलाकर मेरे कलकत्ता जुट मिल पर चार दिसम्बर को होने की बात बता दी जाए, तथा सिंद्धान्त नकुल शाह विक्रांत सिंह मंशा राम लेखराज तिवारी को लेकर तुम भी कलकत्ता पहुंचो सिंद्धान्त चौधरीं साहब का निर्देश पाकर लौटा और मर्मत को बुलाया और यह सूचना दे दिया कि मंगलम चौधरीं चार दिसम्बर को कलकत्ता जुट मिल पर मौजूद रहेंगे चार दिसम्बर को उनके साथ सुयश भी होगा,,,,




जारी है








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